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अनिल अंबानी को फिर बड़ा झटका: 3,000 करोड़ के कर्ज घोटाले में ED की बड़ी कार्रवाई

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अनिल अंबानी पर एक और बड़ा झटका: ईडी की कार्रवाई, 3,000 करोड़ के फंड डायवर्जन की जांच तेज़

अनिल अंबानी, जो एक समय भारत के सबसे अमीर उद्योगपतियों में शामिल थे, एक बार फिर से विवादों के घेरे में हैं। साल 2025 में उन पर लगे वित्तीय अनियमितताओं के आरोप अब और गंभीर रूप लेते जा रहे हैं। हाल ही में भारत की वित्तीय अपराध जांच एजेंसी, प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने उनकी कंपनियों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है। इस आर्टिकल में हम इस पूरे घटनाक्रम, उसके प्रभाव और भविष्य की संभावनाओं की विस्तार से जानकारी देंगे।अनिल अम्बानी एक टाइम भारत के सबसे आमिर हुआ करते थे, अब फिरसे धीरे धीरे टर्की करते जा रहे, बोहत ही काम टाइम में इंडिया के अमीर के लिस्ट में आ जायेगे

अंबानी और उनकी कंपनियां: एक परिचय

अनिल अंबानी रिलायंस ग्रुप के चेयरमैन हैं, जिसमें Reliance Infrastructure, Reliance Power, Reliance Communications, Reliance Capital जैसी प्रमुख कंपनियां शामिल हैं। एक समय उनके पास अरबों डॉलर की संपत्ति थी, लेकिन पिछले एक दशक में उनकी कंपनियों पर लगातार कर्ज और विवाद बढ़ते गए।

2005 में अपने भाई मुकेश अंबानी से विभाजन के बाद अनिल ने टेलीकॉम, पावर और फाइनेंस क्षेत्रों में बड़ा निवेश किया था। लेकिन समय के साथ, बाजार की प्रतिस्पर्धा, कर्ज के बढ़ते दबाव और नियामकीय कार्रवाइयों ने उनकी कंपनियों को कमजोर कर दिया।

ED की ताज़ा कार्रवाई: क्या है मामला?

जुलाई 2025 में ईडी ने अनिल अंबानी के समूह के खिलाफ ₹3,000 करोड़ के कर्ज घोटाले की जांच शुरू की। यह मामला Yes Bank से लिए गए लोन और उस फंड के कथित ग़लत इस्तेमाल से जुड़ा है। जांच में यह सामने आया है कि लोन की राशि को कई फर्जी शेल कंपनियों में डायवर्ट किया गया, और बैंकिंग नियमों का उल्लंघन हुआ।

ईडी ने देश के 35 से अधिक ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की, जिसमें रिलायंस ग्रुप के मुंबई, दिल्ली, चेन्नई और अहमदाबाद स्थित कार्यालयों को शामिल किया गया।

शेयर बाज़ार पर असर

ईडी की कार्रवाई की खबर सामने आते ही रिलायंस पॉवर और रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर के शेयरों में तेज़ गिरावट देखी गई।

  • Reliance Power के शेयरों में लगभग 5% की गिरावट आई।
  • Reliance Infra के शेयरों में भी 4% तक गिरावट दर्ज की गई।

निवेशकों में डर का माहौल है और बाजार में यह चर्चा है कि यह मामला और गहराता है तो ग्रुप की अन्य कंपनियों पर भी इसका प्रभाव पड़ सकता है।

कंपनी की प्रतिक्रिया

रिलायंस पॉवर और रिलायंस इंफ्रा दोनों ने बयान जारी करते हुए कहा कि वे ईडी की जांच में पूरा सहयोग कर रहे हैं। कंपनी के प्रवक्ता ने यह भी कहा कि यह एक रूटीन इन्वेस्टिगेशन है और किसी भी गलत काम को बढ़ा-चढ़ाकर नहीं देखा जाना चाहिए।

कंपनी ने जोर देकर कहा कि सभी ट्रांजैक्शन कानूनी रूप से किए गए हैं और सारे रिकॉर्ड समय पर संबंधित एजेंसियों को सौंप दिए गए हैं।

पिछली वित्तीय गड़बड़ियाँ और विवाद

यह पहली बार नहीं है जब अनिल अंबानी की कंपनियों को इस तरह की जांच का सामना करना पड़ रहा है। इससे पहले भी कई बार उन पर गंभीर आरोप लग चुके हैं:

  • Reliance Communications पर ₹14,000 करोड़ से अधिक के कर्ज डिफॉल्ट का आरोप।
  • SEBI द्वारा 2024 में अनिल अंबानी और 24 अन्य कंपनियों को शेयर मार्केट में ट्रेडिंग से 5 साल के लिए बैन।
  • उनके खिलाफ कई बैंकों और फाइनेंशियल संस्थाओं ने फंड मिसयूज़, विलफुल डिफॉल्ट और टैक्स चोरी जैसे आरोप लगाए थे।

इन सभी घटनाओं ने उनकी छवि और व्यावसायिक स्थिति को काफी हद तक प्रभावित किया है।

क्या कहते हैं वित्तीय विशेषज्ञ?

वित्तीय विशेषज्ञों का मानना है कि अनिल अंबानी की कंपनियों की वर्तमान वित्तीय स्थिति अस्थिर है। यदि यह जांच आगे बढ़ती है और आरोप प्रमाणित होते हैं, तो यह न केवल उनके कारोबारी साम्राज्य को हिला सकता है, बल्कि भारतीय कॉर्पोरेट दुनिया में एक बड़ा झटका साबित हो सकता है।

वहीं कुछ विशेषज्ञ यह भी मानते हैं कि अगर ग्रुप पारदर्शिता से जांच में सहयोग करता है, तो वह अपनी छवि को आंशिक रूप से सुधार सकते हैं।

आगे क्या हो सकता है?

ईडी द्वारा जांच अभी प्रारंभिक चरण में है। आगे की कार्रवाई में निम्नलिखित हो सकते हैं:

  • ग्रुप के प्रमुख अधिकारियों से पूछताछ।
  • शेल कंपनियों की फंडिंग की गहराई से जांच।
  • बैंक अधिकारियों की भूमिका पर भी सवाल।
  • कोर्ट में चार्जशीट दाखिल होने की संभावना।

यदि दोष साबित होते हैं, तो कई आपराधिक धाराओं में केस दर्ज हो सकता है और कंपनी पर भारी जुर्माना भी लग सकता है।

निष्कर्ष: अंबानी ग्रुप का भविष्य क्या?

अनिल अंबानी का कारोबारी सफर एक प्रेरणादायक से अधिक अब एक चेतावनी बनता जा रहा है। 2008 में जिनकी गिनती दुनिया के टॉप 10 अमीरों में होती थी, वही आज ऋण, जांच और विवादों से घिरे हुए हैं।

रिलायंस ग्रुप की कंपनियां अभी भी कई क्षेत्रों में सक्रिय हैं, लेकिन उनकी क्रेडिबिलिटी और कॉर्पोरेट गवर्नेंस पर सवाल उठते जा रहे हैं। आने वाले हफ्ते इस बात का संकेत देंगे कि क्या अनिल अंबानी एक बार फिर वापसी कर सकते हैं या यह उनके कारोबारी युग का अंतिम अध्याय साबित होगा।

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