आर्चिता फुकन
Archita Phukan, जिन्हें सोशल मीडिया पर Babydoll Archi के नाम से जाना जाता है, हाल ही में एक गंभीर डीपफेक स्कैंडल का शिकार हुईं।उनके पूर्व बॉयफ्रेंड प्रतीम बोराह ने कथित तौर पर ब्रेकअप के बाद बदले की भावना से उनके निजी फोटो का इस्तेमाल कर फर्जी अश्लील वीडियो और तस्वीरें AI टूल्स की मदद से तैयार किए और इन्हें सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया।
आज की डिजिटल दुनिया में तकनीक ने जहां एक ओर कई दरवाज़े खोले हैं, वहीं दूसरी ओर इसके दुरुपयोग के मामले भी चिंताजनक रूप से बढ़ते जा रहे हैं। ऐसा ही एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है असम की रहने वाली आर्चिता फुकन (जिसे सोशल मीडिया पर Babydoll Archi के नाम से भी जाना जाता है) के साथ, जिन्हें एक डीपफेक स्कैंडल का शिकार बनाया गया।
ब्रेकअप का बदला: प्यार से नफ़रत तक का सफर
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, यह पूरा मामला तब शुरू हुआ जब आर्चिता और उनके पूर्व प्रेमी प्रतिम बोराह (Pratim Bora) के बीच संबंध टूट गए। इस ब्रेकअप के बाद बोराह ने आर्चिता से बदला लेने के इरादे से उनके पुराने फोटो का दुरुपयोग करते हुए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की मदद से फर्जी और आपत्तिजनक वीडियो व फोटो बनाए। इन डीपफेक कंटेंट को बोराह ने न केवल सोशल मीडिया पर फैलाया, बल्कि इन्हें एक सब्सक्रिप्शन वेबसाइट के ज़रिए बिक्री भी करने लगा।
परिवार की ओर से पुलिस में शिकायत, आरोपी गिरफ़्तार
इस घिनौने कृत्य की जानकारी जब आर्चिता के परिवार को मिली, तो उनके भाई ने तुरंत पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई। साइबर क्राइम सेल ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए तुरंत कार्रवाई की और प्रतिम बोराह को गिरफ्तार कर लिया। उसके खिलाफ साइबरस्टॉकिंग, मानहानि, निजता का उल्लंघन, और अश्लील सामग्री के ऑनलाइन प्रकाशन जैसी धाराओं में केस दर्ज किया गया है।
वायरल डीपफेक वीडियो से पूरी तरह से असंबंधित हैं आर्चिता
पुलिस जांच में साफ हो चुका है कि आर्चिता का वायरल हो रही अश्लील वीडियो और तस्वीरों से कोई वास्ता नहीं है। जांचकर्ताओं ने स्पष्ट किया है कि वे सभी AI द्वारा बनाए गए फर्जी कंटेंट हैं। साथ ही, आर्चिता का अडल्ट इंडस्ट्री से कोई संबंध नहीं है, और न ही वे विदेश में निवास कर रही हैं जैसा कि झूठे दावों में कहा जा रहा था।
सोशल मीडिया पर बदनाम करने की साजिश
यह पूरा मामला महज़ एक निजी बदले का परिणाम नहीं, बल्कि एक महिला की गरिमा और सामाजिक छवि को धूमिल करने की कोशिश भी है। डीपफेक टेक्नोलॉजी के माध्यम से एक सामान्य युवती को उस चीज़ से जोड़ा गया, जिससे उसका कोई संबंध नहीं। इससे साफ जाहिर होता है कि आज की तारीख में तकनीक की सहायता से किसी भी व्यक्ति को झूठे प्रचार और बदनाम करने के लिए कैसे निशाना बनाया जा सकता है।
डीपफेक और AI की बढ़ती चुनौती
यह मामला डीपफेक तकनीक और AI के दुरुपयोग की ओर हमारा ध्यान गंभीरता से खींचता है। जहां AI का प्रयोग हेल्थकेयर, एजुकेशन, और कम्युनिकेशन जैसे क्षेत्रों में क्रांति ला रहा है, वहीं इसका गैर-जिम्मेदाराना और अनैतिक उपयोग समाज के लिए एक बड़ा खतरा बन चुका है। इस केस से यह भी उजागर होता है कि कानून को तकनीक के इस गलत उपयोग पर जल्द और सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।
निष्कर्ष
आर्चिता फुकन केस केवल एक व्यक्तिगत संघर्ष नहीं, बल्कि एक सामाजिक चेतावनी है। यह घटना बताती है कि हमें AI और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के प्रति जागरूक, सतर्क और जिम्मेदार होना होगा। साथ ही, कानून को भी ऐसे मामलों में त्वरित और प्रभावी कार्यवाही कर पीड़ित को न्याय दिलाना चाहिए।
इस घटना ने न सिर्फ समाज को झकझोर दिया, बल्कि यह सवाल भी खड़ा कर दिया है कि – अगर तकनीक से ही चरित्र हनन करना इतना आसान हो गया है, तो फिर हमारी डिजिटल स्वतंत्रता और निजता की सुरक्षा कौन करेगा?